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धर्म नगरी चित्रकूट धाम – पावन नगरी चित्रकूट जहां भगवान राम ने 11 साल बिताए

पयस्वनी नदी के तट पर बसा चित्रकूट धाम बहुत ही सुंदर प्राकृतिक और आध्यात्मिक स्थान है जहां हिंदुओं के भगवान रामचंद्र ने  अपने वनवास के दौरान 11 साल बिताए थे| मानव हृदय को शुद्ध करने और प्रकृति के आकर्षण से पर्यटकों को आकर्षित करने में सक्षम, चित्रकूट धाम उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है| 


कामदगिरि पर्वत के किनारे बसा चित्रकूट धाम  भारतवर्ष के लोगों के लिए  आस्था का केंद्र है और यहां के लोग इस को सबसे बड़ा तीर्थ मानते हैं| अमावस्या में चित्रकूट धाम  भक्तों का जमावड़ा रहता है,  यहां दूर-दूर से भक्त आकर कामतानाथ जी के मंदिर के दर्शन और  कामदगिरि  पर्वत की परिक्रमा करते हैं|  बोलते हैं कि यहां पर अमावस्या के दिन  कामदगिरि  पर्वत की परिक्रमा लगाने से आप जो भी मन्नतें मांगते हैं वह पूरी होती हैं| 

चित्रकूट धाम का हिंदी में पौराणिक महत्व और इतिहास का हिंदी में वर्णन

संत तुलसीदास की तपोभूमि चित्रकूट धाम में घूमने के लिए बहुत ही खूबसूरत धार्मिक स्थल है ।  चित्रकूट ऐतिहासिक धार्मिक पुरातात्विक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्व के स्थल हैं।  कहा जाता है कि भगवान राम  अपने भाई लक्ष्मण और सीता मां के साथ 11 साल का बनवास चित्रकूट में ही काटा है। 

चित्रकूट में तुलसीदास ने रामचरितमानस में  चित्रकूट को भगवान राम जी के साथ इस चौपाई के साथ बहुत ही  खूबसूरती से  जोड़ा है

 'चित्रकूट के घाट पर, भई संतन की भीर, तुलसीदास चंदन घिसे, तिलक करे रघुवीर'।

अमावस्या में  चित्रकूट धाम के प्रसिद्ध कामतानाथ जी के मंदिर के दर्शन  और कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा  और इसके फायदे

अमावस्या में चित्रकूट धाम  भक्तों का जमावड़ा रहता है,  यहां दूर-दूर से भक्त आकर कामतानाथ जी के मंदिर के दर्शन और  कामदगिरि  पर्वत की परिक्रमा करते हैं| चित्रकूट आने वाले श्रद्धालु कामदगिरि पर्वत की पांच किलोमीटर की परिक्रमा कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना करते हैं।अमावस्या के दौरान चित्रकूट धाम में  कहीं पर खाली जगह नहीं मिलती है क्योंकि यहां पर भक्त जी जान से भगवान के चरणों में सर झुकाने दूर-दूर से आते हैं|

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श्री कामदगिरि पर्वत की परिक्रमाश्री कामदगिरि परिक्रमा

कामदगिरि चित्रकूट का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है, यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आकर कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा लगाते हैं|  यह पर एक में रामघाट से शुरू होती है|  पहले श्रद्धालु राम घाट में स्नान करते हैं  और यहीं से परिक्रमा शुरू करते हैं| 

 रामघाट का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यहां पर भगवान राम पयस्वनी नदी (जिसे मंदाकिनी के नाम से भी जाना जाता है)  के तट  पर स्नान करते थे,  और इससे ही इसका नाम रामघाट पड़ा|

कामदगिरि परिक्रमा की पूरी दूरी लगभग 5 किलोमीटर है। कामदगिरि के चारों ओर बहुत ही स्वच्छ और सुंदर पक्का परिक्रमा मार्ग बना हुआ है। इस बात का विशेष ध्यान दिया गया है कि लोगों को परिक्रमा लगाते समय किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता ।

परिक्रमा मार्ग के चारों ओर अनेक देवालय बने हुए हैं जिनमें राममुहल्ला , मुखारविन्दु , साक्षी गोपाल , भारत-मिलाप (चरण-पादुका ) एवम पीली कोठी अधिक महत्वपूर्ण हैं।

चित्रकूट  के कामतानाथ मंदिर कामदगिरि पर्वत  की परिक्रमा में लोगों की आस्था

बहुत सारे भक्तजन चित्रकूट धाम में बहुत दूर से पैदल चलकर आते हैं,  कुछ तो लेट लेट कर आते हैं|  ग्रंथों में कहा गया है कि भगवान तक पहुंचने के लिए आपको जितनी ज्यादा मुसीबत झेलनी पड़ेगी उतना ही ज्यादा फल भगवान देंगे| 

 कामतानाथ भगवान के ऊपर लोगों को इतना विश्वास है कि वो उनकी सारी मुसीबतों को दूर करके उनकी जिंदगी में खुशियां लाएंगे और इसी उम्मीद में लोग यहां पर चले जाते हैं सब कुछ भूल भाल कर|

 सरकार ने भक्तों को पाने के लिए अलग से बस और रेलवे की सुविधाएं दी हैं ताकि लोग आसानी से यहां पर आ सके और अपने भगवान से मिल सके अपनी कामनाएं कर सकें|  अमावस्या के द्वारा चित्रकूट को आने वाली ट्रेन  भक्तों से लबालब भरी होती हैं,  भक्तगण  ट्रेन की छत पे बैठ कर आते हैं|

चित्रकूट धाम के इतिहास और महत्व का हिंदी में वर्णन

चित्रकूट धाम (कर्वी) मंदाकिनी नदी के किनारे पर बसा भारत के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में एक है। भारत के दो राज्य उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के क्षेत्र में फैला शांत और अति सुन्दर चित्रकूट प्रकृति और ईश्वर की अनुपम देन है। चारों ओर से विन्ध्य पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरे चित्रकूट को अनेक आश्चर्यो की पहाड़ी कहा जाता है। मंदाकिनी नदी के किनार बने घाट और मंदिरो में वैसे तो पूरे साल श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है पर गर्मी व वसंत मासों को छोड़ यह जाना ही उचित होगा।

चित्रकूट हमेशा से ही  बुंदेलखंड के लोगों के लिए आस्था का प्रतीक रहा है,  यहां पर लोग दूर-दूर से अपने मन को शांत करने के लिए आते हैं। चित्रकूट में घूमने के लिए बहुत लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जहां पर आप अपने परिवार एवं दोस्तों के साथ घूमने का आनंद ले सकते हैं| चित्रकूट में घूमने की जगह बहुत सारी हैं।

 साढ़े ग्यारह साल के वनवास के दौरान भगवान राम, उनकी पत्नी सीता जी और उनके भाई लक्ष्मण का निवास; मानव हृदय को शुद्ध करने और प्रकृति के आकर्षण से पर्यटकों को आकर्षित करने में सक्षम। चित्रकूट एक पवित्र स्थान है जो अपने प्राकृतिक दृश्यों और आध्यात्मिक ऊंचाई दोनों के लिए प्रसिद्ध है। एक पर्यटक इसके सुंदर जलप्रपात, चंचल युवा हिरण और नाचते मोर को देखकर उतना ही रोमांच होता है, जितना एक तीर्थयात्री पयस्वनी / मंदाकिनी में डुबकी लगाकर और कामदगिरि की धूल में डुबकी लगाकर अभिभूत हो जाता है। 

चित्रकूट धाम का प्राचीन इतिहास

चित्रकूट का बाल्मीकि रामायण के संबंध

अनादि काल से चित्रकूट की अपनी एक पहचान रही है और इसका पहला उल्लेख वाल्मीकि रामायण में है, जिसे पहले कवि द्वारा रचित पहला महाकाव्य माना जाता है। जैसा कि वाल्मीकि को राम के साथ (या उससे भी पहले) समकालीन कहा जाता है और माना जाता है कि उन्होंने राम के जन्म से पहले रामायण की रचना की थी,  इसे आप चित्रकूट की प्राचीनता  और प्रसिद्धि का अनुमान लगा सकते हैं|

वाल्मीकि चित्रकूट को महान संतों के निवास स्थान के रूप में एक प्रमुख पवित्र स्थान के रूप में बोलते हैं, जो बंदरों, भालू और विभिन्न प्रकार के जीवों और वनस्पतियों से भरे हुए हैं। भारद्वाज और वाल्मीकि दोनों ऋषि चित्रकूट के बारे में उज्ज्वल शब्दों में बोलते हैं और राम को अपने वनवास की अवधि के दौरान इसे अपना निवास बनाने की सलाह देते हैं, क्योंकि यह स्थान किसी व्यक्ति को उसकी सभी इच्छाओं से मुक्त करने और उसे मन की शांति देने में सक्षम था। उसे अपने जीवन के उच्चतम लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करें। भगवान राम स्वयं इस स्थान के इस मोहक प्रभाव को स्वीकार करते हैं।

अत्रि, अनसूया, दत्तात्रेय, महर्षि मार्कंडेय, सरभंग, सुतीक्ष्ण और कई अन्य ऋषि, द्रष्टा, भक्त और विचार इस क्षेत्र में सभी युगों से रहे हैं; और जानकार लोगों का कहना है कि इस तरह के कई आंकड़े अभी भी यहां विभिन्न गुफाओं और अल्पज्ञात स्थानों में तपस्या में लगे हुए हैं।

चित्रकूट धाम का आधुनिक इतिहास

6 मई 1997 को यूपी में छत्रपति शाहूजी महाराज-नगर नामक एक नया जिला बनाया गया था, जिसमें करवी और मऊ तहसील शामिल हैं और इसे बांदा जिले से अलग किया गया है। कुछ समय बाद, 4 सितंबर 1998 को जिले का नाम चित्रकूट में परिवर्तित कर दिया गया। यह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों में फैले पहाड़ों की उत्तरी विंध्य श्रेणी में पड़ता है। बड़ा हिस्सा यूपी के जिला चित्रकूट और मध्य प्रदेश के जिला सतना में शामिल है।

इस बड़े क्षेत्र को संदर्भित करने के लिए “चित्रकूट” शब्द का उपयोग यहाँ किया गया है और यह इस क्षेत्र के विभिन्न स्थानों और स्थलों की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक और पुरातात्विक विरासत का प्रतीक है। इन स्थानों पर प्रत्येक अमावस्या को लाखों लोग यहां एकत्रित होते हैं। सोमवती अमावस्या, दीपावली, शरद-पूर्णिमा, मकर संक्रांति और रामनवमी ऐसे समारोहों और समारोहों के लिए विशेष अवसर हैं।

चित्रकूट मैं घटित भगवत लीलायें:

चित्रकूट धाम का भगवान राम से संबंध

  • भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के चौदह वर्षो में से ग्यारह वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे।
  • चित्रकूट धाम में भगवान राम ने शबरी के जूठे बेर खा कर जात पात का भेद मिटाया था|
  • चित्रकूट धाम के पास भरतकूप में राम भगवान  वनवास के दौरान अपने भाई भारत से मिले थे|
  • इसी स्थान पर ऋषि अत्रि ऋषि और सती अनसुइया ने ध्यान लगाया था।
  • ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनसुइया के घर जन्म लिया था।
  • इसी जिले में राजापुर है। जहाँ कुछ लोग तुलसीदास जी का जन्म स्थान बताते हैं।

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चित्रकूट धाम  को  राम जन्मभूमि अयोध्या से जोड़ने की कोशिश

अयोध्या और चित्रकूट के बीच बेहतर कनेक्टिविटी के लिए प्रस्तावित राम वन गमन मार्ग परियोजना की कुल लंबाई 102 किलोमीटर होगी। यह  मार्ग भगवान राम से जुड़े दो आध्यात्मिक स्थलों को जोड़ेगा जिससे भगवान राम के भक्तों को एक जगह से दूसरी जगह तक आने जाने में आसानी होगी|

भक्तों के अनुसार चित्रकूट से अयोध्या को जोड़ने वाली यह जरूर रोड बहुत ही  जरूरी थी,  किसके बनने से भगवान राम के भक्त आसानी से अयोध्या से चित्रकूट की दूरी तय कर पाएंगे|   भक्तों के अनुसार, अभी के चीफ मिनिस्टर  योगी आदित्यनाथ के द्वारा लिया गया यह फैसला बहुत ही उम्दा है|

कवियों और लेखकों का चित्रकूट धाम की पावन भूमि से संबंध

रामोपाख्यान और तीर्थों के वर्णन में महाभारत में विभिन्न स्थानों पर चित्रकूट को एक पसंदीदा स्थान मिलता है। यह ‘अध्यात्म रामायण’ और ‘बृहत रामायण’ चित्रकूट की आध्यात्मिक और प्राकृतिक सुंदरता की धड़कन की गवाही देते हैं। लेखक को बताया गया है कि बाद के काम में चित्रकूट और उसके प्रमुख स्थानों के वर्णन के लिए सोलह सर्ग हैं। राम से संबंधित संपूर्ण भारतीय साहित्य इसे एक अनूठा गौरव प्रदान करता है। 

हिंदी के संत-कवि तुलसीदास ने अपने सभी प्रमुख कार्यों-रामचरित मानस, कवितावली, दोहवाली और विनय पत्रिका में इस स्थान का बहुत सम्मान से बात की है। अंतिम उल्लेखित कृति में कई श्लोक हैं जो तुलसीदास और चित्रकूट के बीच एक गहरे व्यक्तिगत बंधन को दर्शाते हैं। उन्होंने अपने जीवन का काफी हिस्सा यहां राम की पूजा करने और उनके दर्शन के लिए तरसने में बिताया। यहीं पर उनके पास वह था जो उन्होंने अपनी उपलब्धियों का सबसे महत्वपूर्ण क्षण माना होगा-अर्थात।

विभिन्न संस्कृत और हिंदी कवियों ने भी चित्रकूट को समान श्रद्धांजलि अर्पित की है। महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य ‘रघुवंश’ में इस स्थान का सुन्दर वर्णन किया है। वह इसके आकर्षण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने चित्रकूट (जिसे वह रामगिरी कहते हैं क्योंकि वह भगवान राम के साथ अपने समय-सम्मानित संबंधों के कारण) को मेघदूत में अपने यक्ष के निर्वासन का स्थान बनाते हैं।

चित्रकूट धाम का हिंदी में पौराणिक महत्व और इतिहास का हिंदी में वर्णन

चित्रकूट धाम कैसे पहुंचे

  1. वायु मार्ग चित्रकूट का नजदीकी हवाई अड्डा इलाहाबाद है। खजुराहो  एयरपोर्ट चित्रकूट से 185 किलोमीटर दूर है।  कुछ ही सालों में चित्रकूट में का हवाई अड्डा चालू हो जाएगा जिससे आप आसानी से चित्रकूट हो सके।
  2. चित्रकूट से निकटतम रेलवे स्टेशन कर्वी  है जो कि चित्रकूट से 8 किलोमीटर दूर है।   चित्रकूट जाने के लिए आप इलाहाबाद से या फिर झांसी से ट्रेन  ले सकते हैं स्टॉप।
  3. सड़क मार्ग से चित्रकूट  जाने के लिए इलाहाबाद, बांदा, झांसी, महोबा, कानपुर, छतरपुर,सतना, फैजाबाद, लखनऊ, मैहर आदि शहरों से नियमित बस सेवाएं हैं।
  4. चित्रकूट में एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए आप ऑटो ले सकते हैं या फिर  कार अथवा बाइक किराए पर ले सकते हैं.

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दुनिया के सभी हिस्सों से हजारों तीर्थ यात्रा और सत्य के साधक अपने जीवन को बेहतर बनाने और ऊपर उठाने की अदम्य इच्छा से प्रेरित होकर इस स्थान का सहारा लेते हैं।

चित्रकूट धाम का हिंदी में पौराणिक महत्व और इतिहास का हिंदी में वर्णन

चित्रकूट धाम के बारे में जानने वाली जरूरी चीजें

चित्रकूट कहां पर है

चित्रकूट धाम उत्तर प्रदेश और  मध्य प्रदेश के बॉर्डर में, मानिकपुर के पास है,  यह बांदा सतना से भी बहुत ही नजदीक है

अयोध्या से चित्रकूट की दूरी

अयोध्या और चित्रकूट के बीच बेहतर कनेक्टिविटी के लिए प्रस्तावित राम वन गमन मार्ग परियोजना की कुल लंबाई 102 किलोमीटर होगी।

चित्रकूट किस राज्य में है

चित्रकूट का कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश का कुछ हिस्सा मध्यप्रदेश  राज्य में  है

चित्रकूट में कौन सा पर्वत है?

कामदगिरी पर्वत

चित्रकूट में कौन कौन से मंदिर हैं?

राघव प्रयाग
मुख्य देव श्री कामदगिरि
लखमण पहाडी
भरत मिलाप, चरण-पादुका
रामघाट
प्रमोद वन
जानकी कुण्ड
रघुवीर मन्दिर

प्रयागराज से चित्रकूट कितना दूर है?

प्रयागराज से चित्रकूटधाम कर्वी के बीच यात्रा की अनुमानित दूरी 123 कि. मी. है।

चित्रकूट धाम में कौन कौन से ऋषि मुनियों ने तपस्या की है

अत्रि, अनसूया, दत्तात्रेय, महर्षि मार्कंडेय, सरभंग, सुतीक्ष्ण और कई अन्य ऋषि, द्रष्टा, भक्त और विचार इस क्षेत्र में सभी युगों से रहे हैं; और जानकार लोगों का कहना है कि इस तरह के कई आंकड़े अभी भी यहां विभिन्न गुफाओं और अल्पज्ञात स्थानों में तपस्या में लगे हुए हैं। यह क्षेत्र को एक आध्यात्मिक सुगंध देता है जो इसके पूरे वातावरण में व्याप्त है और इसे आज तक आध्यात्मिक रूप से जीवंत बनाता है।

चित्रकूट धाम का हिंदी में पौराणिक महत्व और इतिहास का हिंदी में वर्णन
Aditya

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